जीवन पथ जटिल है ये, कालचक्र कठिन है ये,

Hi Friends,


जीवन पथ…
जीवन पथ जटिल है ये, कालचक्र कठिन है ये,
पग-पग पे भेद–भाव है, रक्त–रंजीत पांव है.
जन्म से किसी के सर वंश की छाँव है,
झूठ के रथ पे सवार डाकुओ का गाँव है,
किसी के पास है छल–कपट, किसी को रूप का वरदान है,
ये सोच के मत बैठ जा कि ये विधि का विधान है॰
बज रहा मृदंग है ये कहता अंग अंग है,
की प्राण अभी शेष है, मान अभी शेष है,
उठा ले ज्ञान का धनुष,
एक कढ़ भी और कुछ मत माँग मत भगवान से॰
ज्ञान की कमान पे लगा दे तू विजय तिलक,
काल के कपाल पे लिख दे ये तू गुलाल से,
“ कि रोक सकता है कोई, तो रोक के दिखा मुझे,
हक छीनता आया है जो, अब छीन के बता मुझे॰ ”
ज्ञान के मंच पर सब एक समान है,
विधि का विधान पलट दे, वो ब्रहमास्त्र ज्ञान है॰
तो आज से ये ठान ले, ये बात गाँठ बांध ले,
कि कर्म के कुरुछेत्र मे,
ना रूप काम आता है, ना झूठ काम आता है,
ना जाति काम आती है, ना बाप का नाम काम आता है,
सिर्फ ज्ञान ही आपको आपका हक दिलाता है …..

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